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एमएसएमई क्षेत्र को विकसित किये बगैर देश की प्रगति सम्भव नहीं : सचान

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 संवाददाता
लखनऊ। 
 लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कुटीर, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) मंत्री राकेश सचान ने कहा है कि एमएसएमई क्षेत्र को विकसित किये बगैर देश की प्रगति सम्भव नहीं है और राज्य को एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने का सपना भी इस क्षेत्र को बढ़ावा दिये बगैर पूरा नहीं किया जा सकता।
 सचान उद्योग मंडल 'द एसोसिएटेड चैम्बर्स आफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्री आफ इंडिया' (एसोचैम) द्वारा बुधवार को आयोजित दो दिवसीय 'उत्तर प्रदेश एमएसएमई सम्मेलन' के उद्धाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश की सरकारें मिलकर एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिये काम कर रही है। वन ट्रिलियन डालर का सपना एमएसएमई की मदद के बगैर पूरा होना सम्भव नहीं है। इसके बिना देश की तरक्की नहीं हो सकती है।
उन्होंने कहा कि एमएसएमई देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और उन्हें प्रोत्साहन देने के लिये सरकार अनेक कदम उठा रही है। राज्य सरकार हर तरह से इस क्षेत्र के साथ खड़ी है। उसकी कोशिश है कि उत्तर प्रदेश एक उद्यम प्रदेश के रूप में उभरे।
कैबिनेट मंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई दिवस की पूर्व संध्या पर एसोचैम द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय 'उत्तर प्रदेश एमएसएमई सम्मेलन' के आयोजन के लिये बधाई देते हुए कहा कि इस कार्यक्रम से जो भी सुझाव आएंगे, सरकार उन पर अमल करने का यथासम्भव प्रयास करेगी।
उन्होंने कहा कि कृषि के बाद सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला क्षेत्र एमएसएमई ही है। इसके माध्यम से बहुत बड़ी संख्या में युवाओं को रोजार मिल सकता है। भारत की जीडीपी में एमएसएमई का योगदान 30 प्रतिशत है। जबकि निर्यात में भी उसकी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत के आसपास है।
 सचान ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य की सभी 90 लाख से ज्यादा एमएसएमई इकाइयों को सरकारी पोर्टल पर पंजीकृत कराने के लिये प्रयास कर रही है। सरकार ने 'वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट' (ओडीओपी) योजना के जरिये स्थानीय उत्पादों को पूरी दुनिया में पहचान दिलायी है। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे पूरे देश की योजना बनाया है।उत्तर प्रदेश में लैंड बैंक बनाने के सरकार के प्रयासों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने एमएसएमई को सस्ती जमीन दिलवाने के लिये 'प्लेज स्कीम' शुरू की है। बहुत से लोग एमएसएमई की इस योजना से जुड़ सकते हैं। इसमें जमीन खरीदने की स्टांप कर पर 100 प्रतिशत छूट है। इसके अलावा तमाम तरह की एनओसी दिलाने में भी सरकार मदद कर रही है। सचान ने कहा कि प्रदेश की एमएसएमई नीति कई मायनों में अनोखी है। इसमें एक करोड़ तक के एमएसएमई को भी ब्याज में 50 प्रतिशत की सब्सिडी की व्यवस्था है। इसके अलावा प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, स्टैंडअप, क्रेडिट गारंटी योजना जैसी योजनाएं चलाकर एमएसएमई को मदद दी जा रही है। विपणन सहायता और बाजार तक पहुंच कैसे बने, इसके लिये भी सरकार कदम उठा रही है। ई—कॉमर्स मंचों का उपयोग, अंतराष्ट्रीय मेलों में भागीदारी, कौशल विकास के लिये भी काम किया जा रहा है।
इससे पहले, एसोचैम बिजनेस फैसिलिटेशन और ग्लोबल कॉम्पिटीटिवनेस की चेयरपर्सन सुषमा पॉल बेरलिया ने स्वागत भाषण किया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ब्याज सब्सिडी और क्रेडिट गारंटी योजना जैसे कदम उठाकर एमएसएमई को लगातार प्रोत्साहित कर रही है। एमएसएमई विकसित भारत के विजन के तहत एसोचैम 'उत्तर प्रदेश एमएसएमई सम्मेलन' आयोजित कर रहा है। इस सिलसिले को बरकरार रखा जाएगा।
 उन्होंने कहा कि एमएसएमई की सहभागिता और उनमें रोजगार को बढ़ाकर ही विकसित भारत का सपना पूरा किया जा सकता है। दुनिया वैकल्पिक आपूर्ति श्रंखला की तलाश कर रही है। यह हमारे पास एक अवसर है। इस लिहाज से उत्तर प्रदेश के पास बहुत मौके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में सरकार एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिये अनेक सार्थक कदम उठा रही है। महिलाओं और हाशिये पर खड़े लोगों में उद्यमिता को बढ़ावा दिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में इस वक्त 90 लाख से ज्यादा एमएसएमई से 1.65 करोड़ लोगों को रोजगार मिल रहा है। यह देश में सबसे ज्यादा है।


 सिडबी के महाप्रबंधक मनीष सिन्हा ने कहा कि केन्द्र सरकार देश की अर्थव्यवस्था को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की ओर अग्रसर है। यूपी सरकार ने 2027 तक यूपी को एक ट्रिलियन डालर अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में 'उत्तर प्रदेश एमएसएमई सम्मेलन' का कार्यक्रम सही समय पर आयोजित किया गया है।
उन्होंने कहा कि जब हम विकसित भारत की तरफ बढ़ रहे हैं तो एमएसएमई की चुनौतियों पर चीजें बिलकुल साफ होनी चाहिये और एक पुख्ता रणनीति बनानी होगी। भारत में 6.3 करोड़ एमएसएमई हैं। यूपी में 90 लाख से ज्यादा ऐसी इकाइयां हैं। सिन्हा ने एमएसएमई सेक्टर के सामने खड़ी प्रमुख चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि बड़े पैमाने पर इकाइयां फार्मलाइज सेक्टर में नहीं हैं। ऐसे में उनकी समस्याओं की पहचान करना मुश्किल हो जाता है। अगर उन्हें सरकार की योजनाओं का फायदा उठाना है तो उन्हें फार्मलाइज सेक्टर में लाना होगा। सिडबी और सरकार इसी दिशा में बैंकर्स के सहयोग से काफी काम रहा है। हम सभी एमएसएमई को फार्मलाइज करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।
इसके अलावा नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया के गवर्नर रिलेशंस इंचार्ज रविकांत शर्मा, एसोचैम बिजनेस फैसिलिटेशन एंड ग्लोबल कॉम्पिटीटिवनेस के सह अध्यक्ष सुधीर पणिक्कसेरी, एसोचैम नेशनल काउंसिल आन लेदर एंड फुटवियर के अध्यक्ष मोतीलाल सेठी, उत्तर प्रदेश विकास परिषद के सह अध्यक्ष अनुपम मित्तल और एसोचैम उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट काउंसिल के सह अध्यक्ष हसन याकूब ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।

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