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संवाददाता।
लखनऊ (गोलागंज)। संस्था तंज़ीमुल मकातिब में ईद-ए-ग़दीर की मुनासिबत से जश्ने तकमीले दीन का आयोजन बड़े ही श्रद्धा और उल्लास के साथ किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत तिलावत-ए-कुरआन करीम से हुई, जिसे मौलवी नकी अब्बास ने पेश किया। इसके बाद देश के मशहूर शोअरा जर्रार अकबराबादी, वकार सुल्तानपुरी, मौलाना शब्बर हुसैन खान, ताज़हीब नगरौरवी, दिलकश ग़ाज़ीपुरी और बाकर बलियावी ने ईद-ए-ग़दीर की महानता और मौला अली की विलायत पर अपने मंज़ूम नजराने-ए-अक़ीदत पेश किए।
इस मौके पर संस्था की सहायक कमेटी के सदस्य मौलाना काज़िम मेहदी उरूज ने जश्न को संबोधित करते हुए कहा कि ईद-ए-ग़दीर इस्लामी तक़रीबों में सबसे बड़ी ईद है। इसकी फ़ज़ीलतें बेशुमार हैं और इसका पैगाम आज भी इंसानियत के लिए रौशनी का मीनार है।
संस्था तंज़ीमुल मकातिब के सचिव मौलाना सफी हैदर ने कहा कि ईद-ए-ग़दीर वह दिन है जब हज़रत मोहम्मद (स.) ने हज़रत अली (अ.) को अपना जानशीन घोषित किया और मैदान-ए-ग़दीर में ऐलान-ए-विलायत फरमाया। यह दिन इस्लामी इतिहास का अहम मोड़ है, जो इमामत और रहनुमाई की बुनियाद है।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में अक़ीदतमंदों की मौजूदगी ने इसे एक यादगार शाम बना दिया।