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हेल्थी वर्ल्ड विज़न द्वारा 7 एवं 8 अक्टूबर को दो दिवसीय राष्ट्रीय होम्योपैथिक सम्मेलन का आयोजन किया गया

 संवाददाता लखनऊ 


हेल्थी वर्ल्ड विजन कार्यक्रम का उद्घाटन एवं अध्यक्षता उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने और दयाशंकर मिश्रा दयालु ने किया । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आयुष मंत्री डॉ दयाशंकर रहे उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक  ने होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि इस चिकित्सा पद्धति से लाइलाज बीमारियों का इलाज भी सरल एवं सबसे सस्ता  करने में सक्षम है, एवं भारत में विगत कई वर्षों में होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति का लोगो मे विश्वास पहले से और ज्यादा बढ़ गया है ।कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ. पंकज श्रीवास्तव एवं डॉ. रचना श्रीवास्तव ने किया ! कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार को रखते हुए आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्रा दयालु ने बताया यद्यपि होम्योपैथी का जन्म जर्मनी में हुआ था परन्तु होम्योपैथी का सबसे ज्यादा विकास भारत में हुआ है और आज भारत मे सबसे ज्यादा होम्योपैथिक चिकित्सक है पूरे विश्व में मौजूद हैं । प्रधानमंत्री के नेतृत्व में 2014 में आयुष मंत्रालय का गठन हुआ।आने वाले समय मे वाराणसी में एक नए होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज का निर्माण हो रहा है, और आने वाले समय मे सारे आयुष मेडिकल कॉलेज को आयुष विश्वविद्यालय से सम्बन्ध कर दिया जाएगा।पुराने समय से ही होम्योपैथी एवं आयुर्वेद पर आम जनमानस का विश्वास बहुत ज्यादा पहले से बढ़ गया है,भारत में लोग विदेश से अब आयुष चिकित्सा पद्धति के माध्यम से इलाज कराने रहे हैं और भारत सरकार उन्हें आयुष वीजा भी प्रदान कर रही है । कार्यक्रम में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ होम्योपैथी कोलकता के निदेशक प्रो. सुभाष सिंह ने होम्योपैथी के सिद्धांत पर विस्तार से चर्चा किया कार्यक्रम में कोलकाता होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रजत चट्टोपाध्याय डायग्नोसिस बेस्ड क्लीनिकल प्रैक्टिस के विषय पर व्याख्यान दिया।डॉ. शिशिर माथुर (रजिस्ट्रार होम्योपैथी यूनिवर्सिटी जयपुर) ने वैज्ञानिक तरीके एवं रिसर्च के माध्यम से होम्योपैथी को आगे ले जाने पर चर्चा की । डॉ. एस. परवीन कुमार हैदराबाद से आये थे उन्होंने पैथोलॉजिकल बेस्ड प्रैक्टिस पर विस्तार से अपने अनुभव साझा किया। कार्यक्रम में डॉ. गिरीश गुप्ता , डॉ. रवि सिंह लखनऊ ने भी अपने क्लीनिकल रिसर्च एवं अनुभव को साझा किया। कार्यक्रम में प्रो. बी. एन. सिंह, प्रो. रामजी सिंह, डॉ. आएशा अली, डॉ. ममता पंकज, डॉ. एस. एन. सेंगर एवं स्नातक एवं परास्नातक के छात्र मौजूद थे।

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