लखनऊ :।। संवाददाता;
आज याचना कार्यक्रम की शुरूआत सर्वप्रथम बजरंगबली की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर प्रदेश के मुख्यमंत्री की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर सभी तदर्थ शिक्षकों ने 10वाँ दिवस के याचना कार्यक्रम सीताराम नाम जाप से शुरूआत की। आज 10वां दिन से अनवरत माध्यमिक तदर्थ शिक्षक संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के तत्वाधान में याचना कार्यक्रम चल रहा है परंतु अभी तक कोई शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने आकर हमारी समस्या का कोई निवारण के नाम पर कोई जू नहीं रेंगता नजर नहीं आ रहा है जबकि इस याचना कार्यक्रम को संयुक्त कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी, आशीष मणि त्रिपाठी प्रदेश महामंत्री राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ माध्यमिक शिक्षा संघ के एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने भी कार्यक्रम स्थल पर आकर कार्यक्रम का समर्थन देने और तत्काल वेतन निर्गत करने की बात मंच के माध्यम से कहा और यह भी कहा कि अकारण अगर शिक्षकों का जो वेतन नहीं दिया जा रहा है वह वेतन वितरण अधिनियम के विरुद्ध है और अपराध है अगर काम ले रहे हैं तो वेतन भी दें बिना वेतन के यह सभी शिक्षक अध्यापन कर रहे हैं इनको समय से वेतन मिल जाए इससे विद्यालयों में जो बच्चे पढ़ रहे हैं उनको सही ढंग से पूरे मनोयोग से पढ़ाया जा सके सर्वविदित है कि हम सभी तदर्थ शिक्षक साथी एक वर्ष से वेतन न प्राप्त होने के कारण जटिल परिस्थितियों से गुजर रहे हैं, उसी की बाधा दूर करने के उद्देश्य से शासन के वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री और भाजपा पदाधिकारियों से अनुनय विनय करने के पश्चात मजबूर होकर हम सभी तदर्थ शिक्षक अपने अराध्य के शरण में बैठ कर सीताराम का जाप जब तक अवरूद्ध वेतन निर्गत नहीं हो जाता है तब तक हम सभी का कार्यक्रम अनवरत जारी रहेगा। प्रदेश संयोजक राजमणि सिंह का कहना है कि हम सभी तदर्थ शिक्षकों के करूणानिधान और पालनहार मुख्यमंत्री के द्वारा सदन में दिये गये आश्वासन के साथ-साथ उसी सदन में शिक्षा मंत्री गुलाब देवी के द्वारा दिया गया आश्वासन वेतन न देने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जायेगी और उसी सदन में सदन के पीठासीन सभापति कुंवर मानवेन्द्र प्रताप सिंह के द्वारा नेता सदन को कार्यरत तदर्थ शिक्षकों को पीठ से ही वेतन देने का आदेश देते हैं। मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, सभापति के आश्वासन/आदेश के पश्चात आज तक तदर्थ शिक्षकों का वेतन नहीं दिया गया। सुप्रीम कोर्ट की याचिका संख्या-8300/2016 में वर्ष 2000 से पूर्व और 2000 के बाद संयुक्त रूप से तदर्थ शिक्षक याचिका/पक्षकार थे। परन्तु अधिकारियों द्वारा तदर्थ शिक्षको को दो भागों में बांटने का कार्य किया है। वर्ष 2000 के पूर्व तदर्थ शिक्षकों के वेतन का भुगतान अद्यतन किया जा रहा है और बाद के शिक्षकों का वेतन अवरूद्ध कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने तदर्थ शिक्षकों की लम्बी सेवा देखते हुए स्वयं के साथ सभी को दोषी मानते हुए तदर्थवाद को समाप्त करने के लिए कहा न कि तदर्थ शिक्षकों को। अधिकारीगण द्वारा मुख्यमंत्री को सुप्रीम कोर्ट की गलत व्याख्या करके भ्रमित करने का कार्य कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने तदर्थ शिक्षकों के वेतन भुगतान के रोकने का आदेश नहीं दिया है, केवल तदर्थवाद को समाप्त करने के लिए कहा है। इसी के आलोक में मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद बेंच लखनऊ के याचिका सं0-5853/2007 हरीश चंद्र शुक्ला बनाम निदेशक, उ0प्र0 माध्यमिक शिक्षा में मा0 न्यायमूर्ति इरशाद अली ने 8300/2016 का विस्तृत अध्ययन करने के उपरान्त तदर्थ शिक्षकों के वेतन भुगतान करने का आदेश पारित किया है जबकि आज तक तदर्थ शिक्षकों का वेतन भुगतान नहीं किया गया है। यह सभी तदर्थ शिक्षक नियमित रूप से विद्यालय में अपने कर्तव्य का निर्वहन (पठन-पाठन, बोर्ड परीक्षा, मूल्यांकन कार्य, चुनाव ड्यूटी आदि) का निर्वहन कर रहे हैं। इन सभी तदर्थ शिक्षको का धैर्य अब टूटने लगा है क्योंकि इन तदर्थ शिक्षकों का सामाजिक, मानसिक और आर्थिक स्थितियां दिन प्रति दिन बत्तर होती जा रही है। वेतन के अभाव के कारण बुजुर्ग माता-पिता का इलाज, बच्चों की शिक्षा, घरेलू खर्च अब नहीं चल पा रहा है। आर्थिक स्थितियां अत्यन्त दयनीय होती जा रही है। याचना कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के जिला प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, अम्बेडकरनगर, अयोध्या, जौनपुर, रायबरेली, गोण्डा, बस्ती, लखनऊ, उन्नाव, प्रयागराज, आजमगढ़, अमेठी, बाराबंकी, श्रावस्ती, हमीरपुर आदि जनपदों से हजारों की संख्या में तदर्थ शिक्षक वेतन अपनी याचना शिक्षा अधिकारियों के सामने शान्तिपूर्वक कर रहे हैं।
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