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30 जुलाई दिल्ली के जंतर मंतर धरने में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बड़ी भागीदारी परिषद की बैठक में हुआ निर्णय

 लखनऊ /संवाददाता


कल मोर्चे की बैठक बुलाई गई पुरानी पेंशन बहाली, ठेकेदारी प्रथा को बंद किया जाना, राष्ट्रीय वेतन आयोग का गठन की मांग लखनऊ,
पुरानी पेंशन बहाली, राष्ट्रीय वेतन आयोग, ठेकेदारी प्रथा को बंद करने की मांग को लेकर 30 जुलाई को इप्सेफ द्वारा जंतर मंतर पर आयोजित धरने में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के राज्य कर्मचारी बड़ी संख्या में भागीदारी करेंगे वही प्रदेश के अन्य जनपदों से प्रतिनिधि सम्मिलित होंगे उक्त निर्णय 61 के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री वी पी मिश्र की अध्यक्षता में संपन्न हुई वेब मीटिंग में लिया गया । बैठक की जानकारी देते हुए परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत, महामंत्री अतुल मिश्रा एवं प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि कार्यक्रम की तैयारी के लिए एक वीडियो कांफ्रेंसिंग बैठक में प्रदेश के सभी जनपदों के पदाधिकारियों ने भागीदारी की  ।  जनपदों के पदाधिकारियों ने बताया कि सभी विभागों में गेट मीटिंग की जा रही है और 30 के धरने को पूर्णरूपेण सफल बनाया जाएगा । वी पी मिश्र ने कहा कि वर्तमान समय में कर्मचारियों की सबसे प्रमुख मांग पुरानी पेंशन बहाली है वही संविदा और ठेकेदारी प्रथा कर्मचारियों के भविष्य के लिए अत्यंत घातक है, देश के युवाओं की प्रतिभा का उपयोग सरकार द्वारा ना करके उन्हें ठेकेदारी प्रथा मे ठकेला जा रहा है जिससे देश का युवा वर्ग अत्यंत परेशान है ।विभिन्न विभागों में स्थाई पदों के रिक्त होने के कारण कर्मचारियों पर कार्य का बोझ बहुत बढ़ गया है, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती बंद है वही समूह ग और घ के पदों पर भी अब नियमित भर्ती नहीं की जा रही है । जबकि स्थाई पदों पर पूर्व से ही यह समझौता था और उसके आदेश भी थे कि उस पर कोई संविदा या ठेकेदारी भर्ती नहीं की जाएगी लेकिन अब निजीकरण की भेंट चढ़ते हुए सभी विभागों में ठेकेदारी प्रथा बहुत तेजी से विकसित की जा रही है जिसे रोकना देश के लिए, देश के विकास के लिए, युवाओं के भविष्य के लिए बहुत आवश्यक है ।  राष्ट्रीय वेतन आयोग का गठन कर पूरे देश के कर्मचारियों को समान पद और समान वेतन दिया जाना न्यायोचित है, इस संबंध में माननीय न्यायालय द्वारा भी कई बार निर्देश दिया गया है लेकिन इसका पालन नहीं हो पाता । देश में केंद्रीय सरकार द्वारा प्रत्येक 10 वर्ष पर वेतन आयोग का गठन किया जाता है उसके बाद राज्यों में अलग-अलग वेतन आयोग या कमेटियां बनाकर निर्धारण किया जाता है, जिससे अनेक वेतन विसंगतियां बनी रहती है और पूरे 10 साल तक लगातार कर्मचारी वेतन विसंगति के लिए लड़ता रहता है इसलिए राष्ट्रीय वेतन आयोग का गठन कर कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों का निराकरण किया जाना चाहिए । इप्सेफ द्वारा लगातार इन मुद्दों को लेकर सरकार का ध्यान आकृष्ट  किया गया है, परिषद ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि तत्काल तीनों मुद्दों पर निर्णय कर कर्मचारियों को न्याय दिलाएं । बैठक में सभी जनपदों सहित मंडलों के अध्यक्ष, सचिव, मंडल अध्यक्ष, सचिव, पश्चिम प्रभारी, पूर्वांचल प्रभारी भी उपस्थित रहे ।

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