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कांची कामकोटि पीठ के ७०वे आचार्य श्री शंकर विजयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य जी महाराज का हुआ राजधानी आगमन

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संवाददाता 

 लखनऊ: सीतापुर में ३ दिन का निवास करके लखनऊ आते समय स्वामीजी ने 'लखनऊ वेद पाठशाला', जिसे परमपूज्य श्री जयेन्द्र सरस्वती शंकराचार्य जी महाराज, कांची कामकोटि पीठ ६९वे आचार्य ने शुरू किया था, वहाँ प्रथम भेट दिया। सभी छात्रों ने वेद मंत्रों के साथ और भक्तों ने आरती एवं पुष्प डालकर स्वामीजी का स्वागत किया। वहाँ पर अपना अनुग्रह भाषण देकर स्वामीजी ने सभी लोगों को दर्शन एवं मार्गदर्शन दिया।

'श्री नाथ जी भवन' के गोपाल कृष्ण अग्रवाल और उनके परिवार ने शंकराचार्य जी का वहाँ पर स्वागत किया और उनकी निवास सुविधाओं का ध्यान रखा।

कांची कामकोटि पीठ की स्थापना २५०० साल पहले जगद्गुरु श्री आदि शंकराचार्यजी ने कांचीपुरम, तमिलनाडु में की थी। कांचीपुरम यह दक्षिण भारत की एकमात्र मोक्षपुरी है। कांची कामकोटि पीठ में निरंतर आचार्य परंपरा की विशेषता पायी जा रही है।

पूज्यश्री जयेन्द्र सरस्वती शंकराचार्य स्वामीजी ने वर्ष १९९७ में लखनऊ का दौरा किया और ३-४ के लिए निवास किया था।

कांची कामकोटि पीठ द्वारा कई सामाजिक कार्य के उपक्रम चल रहे है जो समाज के हित के हेतु शुरू किये गए है। उनमें से एक है 'शंकर ऑय हॉस्पिटल जो कांची पीठ के शंकराचार्यों के आशीर्वाद से व उनसे प्रेरित होकर डॉ आर वि रमणी जी और उनकी धर्मपत्नी डॉ राधा रमणी जी ने एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोयम्बतूरे में शुरू किया जहाँपर भारत में सर्वश्रेष्ठ नेत्र चिकित्सकोंने स्वैच्छिक सेवाएँ प्रधान किये। १० राज्यों में सेवाएँ बढ़कर १३ चिकित्सा

केन्द्रों तक पहुँच गई जो प्रतिदिन १००० रोगियों को सेवा प्रदान करती हैं।

यह अस्पताल ख़ास आँख के इलाज के लिए स्थापित हुआ जहाँपर निम्न आर्थिक वर्ग लोगों के लिए मुफ्त इलाज दिया जाता है व मध्य आर्थिक वर्ग और उच्च आर्थिक वर्ग के लोगों को किफायती दरों पर दिया जाता है।

ऐसा ही एक अस्पताल उत्तर प्रदेश के कानपूर में २०१४ में शुरू हुआ। २०२३ तक इस अस्पताल द्वारा १७९३ नेत्र शिविरों का आयोजन और ३७,९०८ सर्जरी की गयी हैं। स्वामीजी की कृपा से देव भूमि वाराणसी में भी इस योजना

की परिक्रमा चल रही हैं।

पूज्य श्री शंकर विजयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य स्वामीजी की विजय यात्रा लगभग एक वर्ष पहले शुरू हुई थी और उन्होंने इस वर्ष ३ महीने की अवधि के लिए वाराणसी में अपना चातुर्मास व्रत रखा था। नवरात्री उत्सव को मानाने के लिए स्वामीजी अयोध्या क्षेत्र में २० दिनों तक थे और एकादशी के दिन उन्होंने रामलल्ला का दर्शन कर पूजा, नैवेद्य और आरती का उपचार भगवन को अर्पित किया।

श्री शंकर विजयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य जी महाराज की विजय यात्रा के तहत कई कार्यक्रमों का आयोजन हर जगह किया जा रहा है जिसमे स्वामीजी का उद्देश्य सिर्फ धर्म प्रचार, धर्म संरक्षण एवं समाज के कल्याण हेतु है जो

उनके अनुग्रह वचनों के प्रति लोगों तक पोहचाया जा रहा हैं। अध्यात्मविद्या, भारतीय संस्कृति एवं सेवाभाव को पदोन्नति करने हेतु शंकराचार्य जी 'सनातन धर्म सेवा ग्राम उत्तर प्रदेश में स्थापित करने को उत्सुक हैं जिससे समाज के व्यक्ति धर्म, निष्ठां, भक्ति, प्रेम, सय्यम, संरक्षण आदि कई भावनाओंका प्रतिक बने।

लखनऊ से ८ नवंबर २०२३ सायंकाल को प्रस्थान कर सुल्तानपुर में एक दिन का अभिषेक पूजा कर दीपावली के उत्सव के लिए स्वामीजी का आगमन वाराणसी क्षेत्र में ९ नवंबर २०२३ से १५ नवंबर २०२३ तक होगा।

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