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ज़ब तक माँ की मानसिकता नहीं बदलेगी तब तक पूर्ण परिवर्तन संभव नहीं - रुचिका चौधरी


-अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर बीबीएयू में आयोजित हुआ सेमिनार

संवाददाता। 
लखनऊ। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विधि विभाग द्वारा भारतीय समाज में सामाजिक-आर्थिक संस्कृति और राजनीतिक जीवन में महिलाओं का समावेश- सभी के लाभ के लिए एक कदम आगे विषय पर एक दिवसीय सेमिनार आयोजित हुआ। प्रो. सुदर्शन वर्मा सुदर्शन वर्मा ने सेमिनार क़े विषय पर प्रकाश डालते हुए न्याय और समानता पर चर्चा की।उन्होंने कहा कि बिना महिलाओं के सहभागिता के कुछ संभव नहीं है।कुलपति प्रो. संजय सिंह ने कहा कि महिला शब्द की जगह मातृशक्ति का प्रयोग करना चाहिए। हमारे देश में शुरू से मातृशक्ति को पूजा जाता रहा है।प्रो. शिल्पी वर्मा ने कहा कि आज की महिलाएं सशक्त और आत्मनिर्भर बन रही हैं। विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल महिला और चाइल्ड सोसाइटी विंग 1090 एसएसपी रुचिता चौधरी ने कहा कि हम दूसरों पर निर्भर क्यों रहें।सोच की वाहक महिला हो।सोच बदलनी होगी।ज़ब तक माँ की मानसिकता नहीं बदलेगी तब तक परिवर्तन सतही ही होगा।मां की मानसिकता शुरू से ही बेटे -बेटियों क़े बारे में अलग -अलग होती है।महिलाओं को पिंक बूथ सहारा लेना चाहिए।दिव्यांग विकास सोसाइटी की सचिव मनप्रीत कौर ने कहा सभी महिलाएं महिलाओं को आपस में एक-दूसरे अपना मानना सोच लें तो किसी की मदद की सहायता जरुरत न पड़े।उन्होंने सास-बहू की चर्चा करते हुए कहा कि सभी सास को बहू को बेटी और सभी बहू सास को मां समझे तो सारे वृद्धाश्रम ख़त्म हो जायेंगे।डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विवि के विधि संकायाध्यक्ष प्रो. शिफाली यादव ने कहा कि लॉ ने समाज में बहुत सारे सामाजिक परिवर्तन किया है।लेकिन विधि सोसाइटी से निकला है इसलिए जरुरी नहीं सब परिवर्तन लॉ से ही किए जाएँ।पुलिस सेवा 1090 स्टाफ की ओर से नाटक प्रस्तुत किया गया।उन्होंने एसिड अटैक, छेड़छाड़, धमकियों आदि पर नाटक आयोजित किया गया।डॉ. सुफिया अहमद ने मंच का संचालन किया।समापन सत्र एडवोकेट नलिनी छाबरा, राष्ट्रीय औषधि शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान निदेशक सुभिनि सराफ,डीन अकादमिक अफेयर प्रो. विक्टर बाबू, छात्र कमल नयन सिंह, चित्रांशु भास्कर, उत्पल प्रताप सिंह, अभिजित तिवारी , निखिल चतुर्वेदी आदि मौजूद रहे।

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