अज़ादारों के लिए आशूर कयामत का दिन है: मौलाना सय्यद राहिब हसन

 लखनऊ/ संवाददाता

लखनऊ: गोलागंज के मकबरा आलिया स्थित अज़खाने मज़हर हुसैन साहब में अशरे की आखिरी मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना सय्यद राहिब हसन ने कहा कि आज 9 मोहर्रम हो गई है हम लोग इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की मजलिस का हक अदा नहीं कर पाए इमाम ने इस्लाम को बचाने के लिए दीने मोहम्मदी को बचाने के लिए कर्बला में अपना पूरा घर लुटा दिया तो उनके चाहने वालों की यह ज़िम्मेदारी है कि वो इस्लाम के लिए अपनी जान देने के लिए तैयार रहें और जो भी दीने इस्लाम को बचाने के लिए कुर्बान होगा वो मरेगा नहीं बल्कि शहीद होगा और शहीद कभी मरता नहीं है।मौलाना ने बताया कि सिर्फ ज़मीन पर नहीं इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का ज़िक्र होता है बल्कि आसमान पर भी इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का ज़िक्र किया जाता है पूरा जहां आशूर के दिन इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की याद में रोता है और हर अज़ादार के लिए आशूर का दिन कयामत के दिन से कम नहीं है।मौलाना सय्यद राहिब हसन ने कहा कि जब अल्लाह का आखिरी हादी आएगा यानी जब ज़हूरे इमाम मेहदी होगा तो इमाम सबसे पहले मौला अब्बास को याद करेंगे और उनको आलम दे कर कहेंगे कि आप कल भी इस्लाम के अलमदार थे और आज भी इस्लाम के अलमदार हैं।अंत में मौलाना ने जनाबे अली असगर के दर्दनाक मसाएब बयान किए और कहा बचे तो अगले बरस हम हैं और यह गम फिर है.... जो चल बसे तो यह अपना सलामे आखिर है। जिसको सुन कर अज़ादारों में कोहराम मच गया औरतें छोटे छोटे बच्चों को देख कर रोने लगीं।

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