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संवाददाता।
-विद्यार्थियों के शैक्षिक और नैतिक विकास का प्रतीक दीक्षांत समारोह : उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय
लखनऊ। ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के नवम् दीक्षांत समारोह का
आयोजन सोमवार को भव्यता के साथ संपन्न हुआ। समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलाधिपति एवं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने की। मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय पेट्रोरसायन अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (सिपेट) के महानिदेशक प्रो. शिशिर सिन्हा उपस्थित रहे। उच्च शिक्षा विभाग के कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय और राज्य मंत्री रजनी तिवारी विशेष अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया।
समारोह को संबोधित करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने दीक्षांत समारोह को विद्यार्थियों के शैक्षिक और नैतिक विकास का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि दीक्षा केवल ज्ञान प्राप्त करने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि छात्र के समग्र व्यक्तित्व विकास और उसके नैतिक मूल्यांकन का प्रमाण है। उन्होंने भारतीय शिक्षा प्रणाली की "तमसो मा ज्योतिर्गमय" की परंपरा को रेखांकित करते हुए शिक्षा को समाज में प्रगतिशीलता और संस्कृति के संवर्धन का माध्यम बताया।
उच्च शिक्षा मंत्री ने विश्वविद्यालय की गतिविधियों और उपलब्धियों की सराहना करते हुए "एक पेड़ माँ के नाम" अभियान, संस्कृत भाषा उन्नयन कार्यशाला, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर संगोष्ठी, और "नो फ्लेम कुकिंग" जैसी रचनात्मक प्रतियोगिताओं को उल्लेखनीय बताया। उन्होंने विद्यार्थियों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के लिए कक्षाओं के संचालन को समाजसेवा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम कहा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के शिक्षक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध कार्य और पेटेंट में योगदान दे रहे हैं, जबकि विद्यार्थी विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पुरस्कार प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कुलपति प्रो. नरेंद्र बहादुर सिंह के कुशल नेतृत्व की सराहना करते हुए विश्वविद्यालय को उच्च शिक्षा के वैश्विक मानकों तक पहुंचाने की दिशा में उनके प्रयासों को सराहा।
समारोह में बड़ी संख्या में छात्रों को उपाधि प्रदान की गई। उच्च शिक्षा मंत्री ने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वे न केवल अपनी शिक्षा को सार्थक करेंगे, बल्कि अपने ज्ञान और कौशल से भारत को वैश्विक नेतृत्व की ओर ले जाने में योगदान देंगे।
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