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संवाददाता। लखनऊ
गोलागंज स्थित संस्था तनज़ीमुल मकातिब के तत्वावधान में दो दिवसीय जश्न-ए-विलादत व वेबिनार का आज दूसरा दिन सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रमुख उलेमाओं ने भाग लिया और संस्था के संस्थापक मौलाना ग़ुलाम असकरी की वैज्ञानिक, धार्मिक एवं सामाजिक सेवाओं को श्रद्धांजलि अर्पित की।
मौलाना काज़िम महदी उरूज ने कहा कि अगर इंसाफ़ से देखा जाए तो तनज़ीमुल मकातिब का काम पूरे भारत में सबसे अधिक प्रभावशाली है। संस्था के संस्थापक दूसरों के लिए कार्य कर रहे थे, इसी निष्ठा और ईमानदारी के कारण उनकी बातों में असर था।
मौलाना हैदर अब्बास ने कहा कि इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) की विलादत के दिन तनज़ीमुल मकातिब की नींव रखी गई, जो इस बात का प्रतीक है कि संस्था ने शिक्षा और प्रशिक्षण के मिशन को इमाम (अ.स.) के पदचिह्नों पर आगे बढ़ाया।
मौलाना मोहम्मद रिज़ाई (जामेअतुल मुस्तफ़ा अल आलमिया) ने कहा कि इमाम सज्जाद (अ.स.) का जीवन ग़म से शुरू हुआ, लेकिन उन्होंने शिक्षा और तालीम को प्राथमिकता दी — यही संदेश आज तनज़ीमुल मकातिब लोगों तक पहुँचा रहा है।
मौलाना सरताज हैदर ने कहा कि मौलाना ग़ुलाम असकरी (र.अ.) ने अपना पूरा जीवन इल्मे-दीन के प्रसार के लिए समर्पित कर दिया। अपने दौर में वह बहुत बड़े ख़तीब थे, लेकिन उन्होंने शोहरत के बजाय ख़िदमत को तरजीह दी।
कार्यक्रम में तनज़ीमुल मकातिब के सचिव मौलाना सैयद सफ़ी हैदर, उपाध्यक्ष मौलाना सैयद सबीह हुसैन, संयुक्त सचिव मौलाना सैयद नक़ी असकरी, मौलाना सैयद सफ़दर हुसैन, मौलाना सैयद हुसैन जाफ़र वहबसहित अन्य विद्वानों ने भी भाग लिया।