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संवाददाता। लखनऊ
-बैठकों मे देश के प्रमुख विद्वानों और शायरों ने भाग लिया
गोलागंज स्थित संस्था तनज़ीमुल मकातिब के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय जश्न-ए-विला एवं वेबिनार की अंतिम दो बैठकें आज संपन्न हुईं
इस अवसर पर आयतुल्लाह हकीम इलाही जो आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनेई (ईरान) के प्रतिनिधि ने कहा इमाम ज़ैनुल आबिदीन (अ.स.) की शान में प्रसिद्ध शायर फ़रज़दक के अशआर पेश किए और इमाम की दुआओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इमाम सज्जाद (अ.स.) की दुआएँ इंसान की ज़िंदगी को सुधारने का सबसे बेहतर माध्यम हैं। उन्होंने आगे कहा कि तनज़ीमुल मकातिब एक ऐसा संस्थान है जो पूरे देश में धार्मिक और शैक्षिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहा है और अपनी गुणवत्ता के लिए जाना जाता है, जो हमारी कौम के लिए गर्व की बात है।
मौलाना हसनैन बाक़री ने अपने संबोधन में कहा कि जो हदीसें और आयतें हम तक पहुँची हैं, उन्हें दूसरों तक पहुँचाने से पहले खुद उस पर अमल करना ज़रूरी है, ताकि समाज में वास्तविक सुधार उत्पन्न हो। उन्होंने आगे कहा कि जिस प्रकार दुनियावी शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय होते हैं, उसी प्रकार दीन की शिक्षा के लिए हौज़ा-ए-इल्मिया को एक विश्वविद्यालय की तरह कार्य करना चाहिए।
मौलाना अख्तर अब्बास जून ने अपने संबोधन में कहा कि इमाम सज्जाद (अ.स.) ने इमाम हुसैन (अ.स.) की क़ुर्बानी को एक तहरीक बनाया, अगर यह तहरीक न होता तो वह क़ुर्बानी वहीं समाप्त हो जाती। उसी रास्ते पर चलते हुए तनज़ीमुल मकातिब के संस्थापक मौलाना सय्यद ग़ुलाम असकरी (रह.) ने दीन की प्रचार-प्रसार के लिए एक तहरीक शुरू किया, जो इंशअल्लाह हमेशा जारी रहेगा।
इस अवसर पर मौलाना साबिर अली इमरानी, जनाब सलीम बलरामपुरी और मौलाना वकार सुल्तानपुरी ने बारगाह-ए-इमाम ज़ैनुल आबिदीन (अ.स.) में मंज़ूम नज़राने अक़ीदत पेश की।
कार्यक्रम के समापन पर विद्वानों और प्रतिभागियों ने संस्थापक तनज़ीमुल मकातिब मौलाना सय्यद ग़ुलाम असकरी (रह.) की दीनी व इल्मी सेवाओं को श्रद्धांजलि अर्पित की और तनज़ीमुल मकातिब के जारी शैक्षिक मिशन की सफलता की दुआ की।