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हज यात्रियों की परेशानी को लेकर अनीस मंसूरी ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

 लखनऊ/    संवाददाता

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- हज विभाग को पहले की तरह विदेश मंत्रालय के अधीन किया जाए
- कहा श्रीमती स्मृति ईरानी से नहीं संभल रहा हज विभाग



पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने कहा कि इस साल सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश के हज यात्रियों को मक्का व मदीना में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसकी जिम्मेदार अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी जी हैं। श्री मंसूरी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि मंत्रीश्रीमती स्मृति ईरानी जी से हज विभाग नहीं संभल रहा है। लिहाजा हज विभाग को अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय से हटाकर उसे दोबारा विदेश मंत्रालय के  अधीन कर दिया जाए।श्री मंसूरी ने अपने कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि वर्ष 2016 में हज विभाग को अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन कर दिया गया है। तब से ही हज यात्रियों को बहुत सी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। हज का 80 फीसद से अधिक काम विदेश से जुड़ा है। बाकी काम केंद्रीय हज समिति व राज्य की हज समितियां मिलकर पूरा करती है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के अधीन हज विभाग कर दिए जाने से विभिन्न संस्थाओं के  बीच आपस में तालमेल नहीं बन पा रहा है।अनीस मंसूरी ने कहा कि देश भर से सबसे अधिक संख्या में पसमांदा मुस्लिम हज करने जाते हैं। उन्होंने मक्का व मदीना में हज यात्रियों को आ रहीं दिक्कतों का जिक्र करते हुए कहा कि इसका जिम्मेदार अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय है। उन्होंने कहा कि हज के लिए आवेदन फार्म जारी करने से लेकर हज यात्रियों को मक्का मदीना भेजने से लेकर, वहां उनकी रिहाईश की व्यवस्था करने तथा हज के बाद उनकी वापस के इंतजाम की पूरी जिम्मेदारी संसद के निर्देश पर बनी हज कमेटी आफ इंडिया व राज्यों में राज्य हज कमेटी की जिम्मेदारी है, लेकिन अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने हज कमेटी के कार्यों पर पूरी तरह से कब्जा किया है जिसके  चलते देश भर के आजमीने हज को आवेदन फार्म भरने से लेकर, मक्का व मदीना जाने और वहां मक्का-मदीना पहुंचकर परेशानियां झेलनी पड़ रहीं हैं।उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने नयी पालिसी बनाने में 4 महीने का समय लगा दिया। इससे हज आवेदन फार्म चार महीने देरी से फरवरी महीने में जारी हुए। इस विलम्ब की वजह से सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में बहुत ही कम आवेदन आये। इसलिए अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय को आवेदन फार्म की दो बार तारीख बढ़ानी पड़ी।उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने हज कमेटी आफ इंडिया का पोर्टल निरस्त कर दिया और एनआईसी के पोर्टल पर आवेदन करने तथा हज खर्च जमा करने को कहा। एनआईसी पोर्टल का सर्वर एक महीने डाउन रहा। इससे चलते माहे रमजान के दिनों में लाखों रोजेदारों को हज खर्च जमा करने के लिए कई-कई दिन लम्बी कतारों में खड़ा होना पड़ा।अनीस मंसूरी ने कहा कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के कुप्रबंध की वजह से माननीय प्रधानमंत्री के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी से जाने वाली उड़ान निरस्त हुई। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने यात्रियों को उनके उड़ान स्थलों पर ही भारतीय मुद्रा को रियाल में बदलने की व्यवस्था खत्म कर दी। इससे पूरे देश में रियाल की कालाबाजारी हुई। देश भर की राज्य हज कमेटियों की मार्फत हज जाने वाले 1 लाख 40 हजार 20 यात्रियों की रिहाईश के लिए मक्का व मदीना में होटलों व भवनों का प्रबंध बीएसटी (बिल्डिंग सेलेक्शन टीम )करती है। यहां भारत में हज प्रक्रिया 4 महीने विलम्ब से जारी होने की वजह से सऊदी अरब में विश्व के सभी देशों में अच्छे होटल व भवन ले लिये। उन्होंने कहा कि मक्का-मदीना में हजयात्रियों की रिहाईश की व्यवस्था हज कमेटी आफ इंडिया बीएसटी करती है। बीएसटी में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, हज कमेटी आफ इंडिया मुंबई के अधिकारी, देश के प्रत्येक राज्य की हज कमेटी के अधिकारी होने चाहिए। लेकिन मक्का-मदीना में भारतीय यात्रियों की रिहाइश के इंतजाम के लिए अजमेर शरीफ दरगाह कमेटी के चेयरमैन सैयद शाहिद हुसैन रिजवी और मुंबई की मुस्लिम तंजीम आल इंडिया मुस्लिम महाज के महासचिव हाजी शाहीन हैदर आजम को भेजा गया। यह कानूनी तौर पर गलत है और देश के 1 लाख 40 हजार 20 हज यात्रियों के साथ धोखा है।श्री मंसूरी ने कहा कि हमारे पसमांदा तबके के हजारों लोग अपनी परेशानियों के वीडियों, आडियो और फोटो भेज रहे हैं। उनका कहना है कि सुविधाविहीन कमरों में 4 के बजाय 15-15 लोगों को ठहराया गया है। जहां स्नानागार तक की सही व्यवस्था नहीं है। एक शौचालय में 15 लोग लाइन लगाकर खड़े होते हैं। स्नानागार व शौचालयों की सफाई तक करने वाला कोई नहीं है। यात्रियों की यह भी शिकायत है कि उनको कमरे में खराब बेड व मैली चादरे दी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि हज यात्रियों की सेवा के लिए भेजे गये हज सेवकों का वहां कोई अता-पता नहीं है।उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने शिया आजमीन से जोहफा श्रेणी के नाम पर रू 24904 लिये गये। जबकि इस श्रेणी के यात्रियों को जोहफा मीकात जाना ही नहीं था। जब यात्रियों ने इसका विरोध किया तो मंत्रालय ने उसे खत्म किया और स्वीकार किया कि यह धनराशि गलती से जुड़ गयी थी। इस अवसर पर समाज के गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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