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कार्यरत तदर्थ शिक्षकों का वेतन और विनियमितीकरण के लिए सरकार स्वतंत्र है --- सुप्रीम कोर्ट

 संवाददाता :अमर

लखनऊ :तदर्थ शिक्षकों के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी सुनवाई के दौरान न्यायाधीश संजय किशन कौल ने कहां की सरकार अपना स्पष्ट नीति अपनाएं यदि आप इन सभी तदर्थ शिक्षकों से काम ले रहे हैं तो वेतन दें! नहीं तो काम तदर्थ के रूप में ना लिया जाए यह शिक्षक 20 से 25 वर्ष तक कार्य किए है तदर्थ रूप में इन्हें अब नहीं रखा जा सकता सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को पूर्व के आदेश में अधिकार दे दिया था कहां कि आपके पास असीम अधिकार हैं आप इन्हें नियमित करे  सरकार इन तदर्थ शिक्षकों को वेतन भुगतान के लिए और धारा 33 जी का विस्तार करते हुए इनको नियमित करने के लिए स्वतंत्र है उत्तर प्रदेश माध्यमिक संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक राजमणि सिंह का कहना है कि अब सरकार और शासन पूरी तरह से स्वतंत्र है लगातार 25 वर्षों से कार्यरत तदर्थ शिक्षकों का 33ज के तहत सभी को विनियमित कर सकती है जबकि ऐसा कई बार पूर्वर्ती सरकारों द्वारा विनियमितीकरण, आमेलन आदि विधेयक ला चुकी है इसी में अब किसी अधिकारी को कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाराज द्वारा कृपा दृष्टि बनाकर हम सभी शिक्षकों को चाहे तो विनायमित कर सकते हैं और हम सभी की सेवा सुरक्षित कर सकते हैं अपने-अपने विद्यालयों में जाकर उसे पढ़ा सके और वेतन प्राप्त करने के पश्चात अपने मां-बाप की दवाइयां बच्चियों की शादियां ,बच्चों की पढ़ाई और परिवार की परवरिश कर सकें।

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