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पसमांदा मुस्लिम समाज ने मनाया 10 अगस्त को अपने कार्यालय पर मनाया काला दिवस

 संवाददाता


 लखनऊ :पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने कहा कि  1936से 1950 तक दलित मुसलमानो को हिन्दू दलितों के भांति आरक्षण मिलता था,देश की आज़ादी के बाद एवं संविधान लागू होने के बाद भी पसमांदा / दलित मुसलमानो को आरक्षण का लाभ मिलता था,10, अगस्त  1950 को तत्कालीन  कांग्रेसी सरकार ने बड़ी होशियारी के साथ एक गैर संविधानिक  अध्यादेश /राष्ट्रपति अध्यादेश द्वारा धारा 341 के पैरा 3 पर  धार्मिक प्रतिबंध लगा कर पसमांदा / दलित मुसलमानो,बौद्धदों, ईसाइयों, सिक्खों को आरक्षण से वंचित कर दिया था, यह आज़ाद भारत की सबसे बड़ी घटना थी जिसे पिछली सरकारैं  अंदेखी करती रहीं. 1956 में सिक्खों, और 1990 में बौद्धदों को बहाल कर दिया जबकि पसमांदा/ दलित मुसलमानो और ईसाइयों को आज भी दलित आरक्षण से वंचित रखा गया है।अनीस मंसूरी ने कहा गतवर्षो के भांति इस वर्ष भी 10, अगस्त 2023 को शांतिपूर्वक काला दिवस पसमांदा कार्यालय पर मनाया जा रहा है।अनीस मंसूरी ने कहा कि पिछली केंद्र सरकारों के अंदेखी के चलते पसमांदा/दलित मुसलमान भुखमरी के कगार पर है, इनके पुश्तैनी धंधे एवं कारोबार समाप्त हो गये हैं पेशेवर पासमांदा तबक़ा मृत्युशैया  पर पड़ा कराह रहा है  केंद्र और राज्य की गूंगी बहरी सरकारों को इनकी आवाज़ सुनाई नहीं देती है।अनीस मंसूरी ने कहा कि जुलाई 2022 में हैदराबाद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधान मंत्री ने पासमांदा मुसलमानो के बारे में फ़िक्रमंदी दिखाई थी जिससे पसमांदा मुसलमानो में स्फूर्ति पैदा हुई थी आशा जगी थी कि प्रधानमंत्री पसमांदा मुसलमानो के लिए कोई ठोस कार्य योजना लागू करेंगे ऐसा भी न होपाया बल्कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने पसमांदा  मुसलमानो को लाभ पहुँचाने के बजाये नुकसान पहुँचाने पर तत्पर है।
अनीस मंसूरी ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री सच में पसमांदा मुसलमानो के हितैषी हैं तो पहले सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब/शपथपत्र वापस लें उसके बाद धारा 341के पैरा 3 पर लगे धार्मिक प्रतिबंध राष्ट्रपति अध्यादेश को वापस लें ताकि पसमांदा / दलित मुसलमानों और ईसाईयों को दलित आरक्षण का लाभ मिल सके।इस अवसर पर पसमांदा मुस्लिम समाज के प्रदेश अध्यक्ष वसीम राईनी, कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष खुर्शीद आलम सलमानी, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष हाजी नसीम अहमद,हाजी शब्बन मंसूरी, मोहम्मद असद कस्सार, अशफाक हाश्मी, हाफ़िज़ शौकत अली, क़ारी शफ़ीक़ आलम कादरी, हाजी शफ़ीक़ अहमद शब्बीर मंसूरी, लुकमान मंसूरी कसमण्डी,  मोहम्मद अरशद, इब्राहिम मंसूरी काकोरी डॉ मरगूब  कुरैशी, असलम नदवी, मोहम्मद रिज़वान उर्फ़ पप्पू कुरैशी, इमरान मंसूरी, इसरार ज़रीवाला, वसीम शाह, लतीफ़ मंसूरी, शब्बीर मंसूरी बी0 एम0सी के अलावा गुड्डू मंसूरी, फैसल सिद्दीकी, वाजिद सलमानी इत्यादि मौजूद थे।

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