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खाद्य एवं पोषण सुरक्षा हेतु पौधों में आनुवंशिक सुधार भविष्य की आवश्यकता:डॉ. अरविंद

 संवाददाता लखनऊ 

सीएसआईआर-एनबीआरआई, लखनऊ में  चल रहे एक सप्ताह-एक प्रयोगशाला समारोह के अंतर्गत आज ‘पादप आणुविक विज्ञान एवं आनुवंशिक सुधार’ विषय पर अनुसंधान एवं विकास प्रदर्शनी का उदघाटन किया गया। इस अवसर पर सीएसआईआर-एनबीआरआई, लखनऊ के पूर्व निदेशक डॉ. राकेश तुली मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे जबकि इंटरनेशनल क्रॉप रिसर्च इंस्टिट्यूट फॉर सेमी एरिड ट्रॉपिक्स, हैदराबाद के उप-महानिदेशक डॉ. अरविंद कुमार विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे।समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. राकेश तुली ने इस अवसर पर संस्थान के अपने अनुभवों को याद करते हुए वैज्ञानिकों से आवाहन किया कि माननीय प्रधानमंत्री द्वारा प्रदान किये लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में हमें अपनी वैज्ञानिक परियोजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने एवं आने वाले समय में लक्ष्यों को ध्यान में रखकर चिन्हित परियोजनाओं में पूरे समर्पण से कार्य करने की आवश्यकता है ताकि राष्ट्र के लक्ष्यों को पूरा किया जा सके। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. अरविंद कुमार ने ‘एप्रोचेस इन क्रॉप इम्प्रूवमेंट फॉर फ़ूड सिक्यूरिटी एंड न्यूट्रीशनल सिक्यूरिटी’ विषय पर अपना व्यख्यान भी प्रस्तुत करते हुए कहा कि पादप प्रजनन विज्ञान की परम्परागत चयन पद्धतियाँ जहाँ प्रमुख रूप से प्रजनक के अनुभव एवं एक तरह से कला पर आधारित हैं वहीँ आधुनिक पद्धतियाँ विज्ञान आधारित हैं, जिनमें पौधों में आणुविक विज्ञान के द्वारा आनुवंशिक सुधार द्वारा नवीन किस्मों का विकास शामिल है। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा एवं पोषण सुरक्षा हेतु पादप फसलों में सुधार समय की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन के कारण सूखे की परिस्थितयों में सहिष्णु किस्मों के विकास पर चर्चा करते हुए उन्होंने “ड्रॉट ब्रीडिंग” के विषय में बताया एवं कम पानी की स्थितियों को सह सकने वाली एवं साथ ही अधिक उपज प्रदान करने वाली किस्में विकसित करने की दिशा में किये जा रहे कार्यों की जानकारी दी।    स अवसर पर संस्थान द्वारा मेसर्स अंकुर सीड्स, नागपुर के साथ कपास शोध के क्षेत्र में सहयोग हेतु एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर भी किये गए। इससे पूर्व गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए, संस्थान के निदेशक डॉ. एके शासनी ने वर्तमान कार्यक्रम की भूमिका के साथ-साथ संस्थान द्वारा पादप आणुविक विज्ञान एवं आनुवंशिक सुधार क्षेत्रों में कार्यान्वित की जा रही अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों पर प्रकाश डाला। 
इस अवसर पर ‘जेनेटिकली मॉडिफाइड क्रॉप: फ्यूचर ऑफ़ एग्रीकल्चर’ विषय पर एक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें लखनऊ के स्कूलों /कॉलेजों के चयनित छात्रों ने प्रतिभाग किया। दिन के बाद के सत्रों में, ‘एग्री-बायोटेकनोलोजिकल इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी एडॉप्शन’ पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमे मुख्य रूप से सीएसआईआर-एनबीआरआई, लखनऊ एवं वरिष्ठ अनुसंधान सलाहकार, पंजाब विश्वविद्यालय के डॉ. राकेश तुली, टियेरा एग्रोटेक लिमिटेड से डॉ. सुरेन टिकू, सीएसआईआर-सीमैप, लखनऊ के निदेशक डॉ. पी के त्रिवेदी; आईसीएआर-एनबीपीजीआर, नई दिल्ली के डॉ. जी पी सिंह; जैवप्रौद्योगिकी विभाग के डॉ. संजय कालिया; नारकोटिक कमिश्नर ऑफ़ इंडिया श्री दिनेश बौद्ध; विज्ञान एवं तकनीकी परिषद्, उत्तर प्रदेश की संयुक्त निदेशक डॉ. हुमा मुस्तफा; अंकुर सीड्स, नागपुर के श्री अश्विन कशिकर एवं पॉपी की खेती करने वाले किसान श्री संजय वर्मा ने अपने अपने विचार रखे।इस अवसर पर एक पोस्टर प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिनमे संस्थान के शोधार्थियों द्वारा विभिन्न वैज्ञानिक विषयों पर अपने अपने अनुसंधान कार्य प्रदर्शित किये गए।

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