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घुमन्तु जनजाति के लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ें

 संवाददाता लखनऊ 

लखनऊ - "घुमन्तु जनजाति के लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ें" यह उद्गार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संगठन घुमन्तु जनजाति परिषद के राष्ट्रीय प्रमुख दुर्गा दास ने मानवाधिकार जनसेवा परिषद के सदस्यों की विवेक खण्ड, गोमतीनगर स्थित कार्यालय पर आयोजित बैठक में व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि घुमन्तू जनजाति के लोगों का स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई में काफी योगदान रहता था इस कारण अंग्रेजों ने 1871 में अपराधी अधिसूचित किया था तथा अमानवीय ढंग से बाड़ों में कैदियों की तरह रखते थे। भारत सरकार ने 1952 जनजातियों को सरकार द्वारा विमुक्त घोषित कर दिया। अब इन्हें विमुक्त जनजाति माना जाता है।घूमन्तु जनजाति के लोगों को मुख्य धारा से जोड़ने तथा उनके पुनरुत्थान हेतु कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। उन्होंने महिलाओं से अपील की कि घुमन्तु जनजाति के बीच जाकर महिलाओं की समस्याओं के निदान हेतु प्रयास करें तथा उनके आधार कार्ड, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, विधवा पेंशन, सीनियर सिटीजन पेंशन आदि बनवाने का प्रयास करें। मानवाधिकार जनसेवा परिषद के अध्यक्ष रूप कुमार शर्मा ने दुर्गा दास तथा राजेश पाण्डेय को अंग वस्त्र ओढ़ाकर तथा बांके बिहारी जी की प्रसाद रूप माला भेंट कर सम्मानित किया। जरिया फाउण्डेशन की अध्यक्ष ममता जिन्दल ने भी अंग वस्त्र ओढ़ाकर सम्मानित किया ‌बैठक में घुमन्तु जनजाति परिषद के संगठन मंत्री राजेश पाण्डेय, प्रांत संयोजक अजय सिंह, जिला प्रमुख गगन शर्मा, मानवाधिकार जनसेवा परिषद के अध्यक्ष रूप कुमार शर्मा, उपाध्यक्ष प्रदीप कुमार शर्मा, आशा फाउण्डेशन की अध्यक्ष आशा सिंह, जरिया फाउण्डेशन की अध्यक्ष ममता जिन्दल, वीरेंद्र पाण्डेय, अनिल कुमार राजभर एवं  मानवाधिकार जनसेवा परिषद से रेखा शर्मा, शालिनी श्रीवास्तव, नीलम मिश्रा, शिव देवी, मधुलिका सिंह, रेनू तिवारी, कार्तिका माथुर, सुमन लता सिंह, कुसुम वर्मा, रुद्राक्ष सागर वर्मा उपस्थित थे।

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